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हरिहरपुरी का दुर्मिल सवैया





हरिहरपुरी का दुर्मिल सवैया


लिखना कहना रघुनाथ कथा, यह पावन गंग सुधा जल है।


इस में रस धार अमी सरिसा, शिव प्यार अपार सदा चल है।


अचलाचल सिंधु महान महा, मधु ज्ञान भरा प्रिय निर्मल है ।


रसना कहती  रहती सब से, अजपाजप जाप स्वयं बल है।





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3 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Jan-2023 08:23 PM

शानदार

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Haaya meer

01-Jan-2023 09:22 PM

👌👌

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Sachin dev

01-Jan-2023 06:16 PM

Well done

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